दीर्घ अपेक्षाओं के बाद मिली खुशियों की बूंदें, अब भारतीय टीम में बैटिंग के लिए Sarfaraz Khan की बुलंदी”
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण पल की गवाही देते हुए, भारतीय क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ तृतीय टेस्ट मैच में अभिषेक किया है Sarfaraz Khan को। यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण पल है जिसे उनके पिता नओशाद खान ने भावुकता के साथ स्वागत किया।
पिता के आंसू से भर आए थे, जब उनके पुत्र को भारतीय टीम में बैटिंग के लिए चुना गया। इस पल की प्रतीक्षा के बाद आखिरकार उन्हें टीम में मौका मिला है।
अपने पुत्र की प्रगति को देखकर पिता को बहुत गर्व है। Sarfaraz Khan को अब उनके सपनों की पूर्ति मिल गई है।
खुशी की इस घड़ी में, नओशाद खान ने अपने आंसू को नियंत्रित नहीं किया। उन्होंने कहा कि एक पिता के लिए उसके बेटे की खुशी ही सबसे बड़ी खुशी होती है।
Sarfaraz Khan को पिता का साथ हर कदम पर मिला है, जो उनके खेल के सफल होने की एक मुख्य वजह है। उनकी पत्नी भी इस खुशी में भागीदार थीं, और उनके आंसू भी आजाद हो गए।
Sarfaraz Khan की क्रिकेट की कहानी बहुत बड़ी है। 2009 में, जब उन्हें मात्र 12 साल की उम्र में भारतीय हैरिस शील्ड अंतर-स्कूल टूर्नामेंट में 439 रन की इनिंग्स खेली थी। 2019-20 और 20-21 सीजन में, उन्होंने रणजी ट्रॉफी में 900 से अधिक रन बनाए थे। उनका घरेलू क्रिकेट में औसत 69.85 है, जो क्रिकेट इतिहास में चौथा सर्वोच्च है।
इतने कुछ करने के बावजूद, एक समय था जब राष्ट्रीय टीम के द्वार खुला नहीं था Sarfaraz Khan के लिए। चुनावकर्ताओं ने सारफाराज को मौका नहीं दिया गया था।
इसके विपरीत, इंग्लैंड के खिलाफ तृतीय टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम ने बड़ा परिवर्तन किया। श्रेयस अय्यर, विकेट कीपर बैट्समैन केएस भरत और रिज़र्व बेंच से बाहर आने के बाद, टीम में गेंदबाज आक्सर पटेल को खेलने का मौका मिला। इससे खुला रास्ता Sarfaraz Khan के लिए।